25
Dec 2011
हवाओं की बंदिशौ पर टूटा एक सन्नाटा
और मैने चुपके से खो दिया है तुम्हे
फिक्र कर हर दिन जिया है
उम्मीद की सांसो को हर रोज पिया है
कब तक फैलेगा ये धुआं
कोशिशौ के आंसुओ में घुलता मेरे
चला जा रहा हूँ अब, दूर कहीं अनजान सा
दिल ने कितना अब रो दिया है तुम्हे...
हवाओं की बंदिशौ पर टूटा एक सन्नाटा
और मैने चुपके से खो दिया है तुम्हे...
0 Responses
Post a Comment
Subscribe to:
Post Comments (Atom)