हवाओं की बंदिशौ पर टूटा एक सन्नाटा
और मैने चुपके से खो दिया है तुम्हे
फिक्र कर हर दिन जिया है
उम्मीद की सांसो को हर रोज पिया है
कब तक फैलेगा ये धुआं
कोशिशौ के आंसुओ में घुलता मेरे
चला जा रहा हूँ अब, दूर कहीं अनजान सा
दिल ने कितना अब रो दिया है तुम्हे...
हवाओं की बंदिशौ पर टूटा एक सन्नाटा
और मैने चुपके से खो दिया है तुम्हे...
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