एक खामोश सी तन्हाई है
एक खामोश सी तन्हाई है
हर तरफ़ बस तेरी यादो की परछाई है
मौसम सर्द है
और
इस गीले तलख मौसम मे
पत्तो पर ओस की कुछ बूंदे
मानो समंदर से टूट कर बिखरी कुछ लहरे उठा लाई हो
पर ये मौसम की पहली बारिश
और सर्द हवा के झोंके
फिर अचानक
एक लम्बी खामोशी
बस केवल हवा का अनुनाद कानो मे मेरे
जैसे
एक खामोश सी तन्हाई है
हर तरफ़ बस तेरी यादों की परछाई है

मैं आज जागा हूँ
जैसे कई सालो के बाद
तेरा चेहरा है कुछ धुंधला धुंधला सा याद मुझे
जब मैं था तेरे साथ उस वक्त से आज तक
कानो मैं है बस कुछ अल्फाज़ तेरे
ये रास्ता सा बीता वक्त ( जाने कैसे )
और
मंजिल सी तेरी मुस्कराहट
लगे ऐसे के तू यही है
यही कहीं मेरे पास
अब इस मंजिल की आस मैं मेरे साथ
बस
एक खामोश सी तन्हाई है
हर तरफ़ बस तेरी यादो की परछाई है

जाने क्या हुआ तुझे
क्या मैं था बस तेरे दर्द के लिए
बिखरी सी लग रही है आस
बिना तेरे आज
tu vaheen hai jahaan mai tujhe छोड़ कर गया था
में शायद आगे निकल आया मंजिल की तलाश में
आज है इंतजार मुझे तेरे कदम बढ़ने का
में आज रुका हूँ
तेरे लिए
तुम ढूँढ रही हो जाने किसे
इस कशमकश में
मेरे साथ अब सिर्फ़
एक खामोश सी तन्हाई है
बस हर तरफ़ तेरी यादो की परछाई है





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